नागरिकता अधिनियम 1955 (CITIZENSHIP ACT, 1955) |
भारतीय नागरिकता का अर्जन (Acquisition of Indian Citizenship)
नागरिकता अधिनियम 1955 में भारतीय नागरिकता प्राप्त करने के पांच तरीके बताए गए हैं. जो हैं 1. जन्म, 2. वंश, 3. पंजीकरण, 4. प्राकृतिककरण और 5. क्षेत्र का समावेश:जन्म के आधार पर (By Birth)
- भारत में 1 जुलाई 1987 से पहले जन्म लेने वाला व्यक्ति भारत का नागरिक हैं.
- 1 जुलाई 1987 को या उसके बाद भारत में पैदा होने वाले उस व्यक्ति को भारत का नागरिक माना जाएगा, जिसके दोनों माता-पिता में से कोई एक उनके जन्म के समय भारत के नागरिक हो।
- 3 दिसम्बर 2004 को या उसके बाद भारत में पैदा हुए लोग भारत के नागरिक माने जायेंगे जिनके दोनों या दोनों में से एक माता-पिता भारत के नागरिक हो. हलांकि दूसरा उनके जन्म के समय अवैध प्रवासी न हो.
नोट: भारत में तैनात विदेशी राजनयिकों के बच्चे और दुश्मन विदेशी जन्म के समय भारतीय नागरिकता प्राप्त नहीं कर सकते।
वंश के आधार पर (By Descent)
वंश के आधार पर (By Descent)
- 26 जनवरी 1950 के बाद लेकिन 10 दिसम्बर 1992 से पहले भारत के बाहर पैदा हुए व्यक्ति वंश के आधार पर भारत की नागरिकता प्राप्त कर सकते हैं अगर उनके जन्म के समय उनके पिता भारतीय नागरिक थे।
- 10 दिसम्बर 1992 या इसके बाद भारत में पैदा हुआ व्यक्ति भारत का नागरिक है अगर उसके जन्म के समय कोई एक भी अभिभावक भारतीय नागरिक था।
- 3 दिसम्बर 2004 के बाद से, विदेश में जन्मे व्यक्ति को भारत का नागरिक नहीं माना जाएगा अगर उसके जन्म के बाद एक साल की अवधि में उसके जन्म को भारतीय वाणिज्य दूतावास में पंजीकृत ना किया गया हो. कुछ विशेष परिस्थितियों में भारत सरकार की अनुमति से 1 साल की सीमा के बाद पंजीकरण कराने की छुट मिल सकती हैं।
पंजीकरण द्वारा नागरिकता (By Registeration)
कोई भी व्यक्ति, अगर वे गैरकानूनी अप्रवासी ना हो, भारत सरकार को आवेदन कर भारत के नागरिक के रूप में पंजीकृत हो सकता हैं है यदि वह
- पंजीकरण का आवेदन करने से पहले, पिछले सात साल से भारत में निवासी हो;
- भारतीय मूल का हो और भारत के विभाजन से पहले बाहर किसी भी देश में साधारण निवासी हो;
- भारत के एक नागरिक से विवाह करता है और पंजीकरण के लिए आवेदन करने से पहले सात साल के लिए भारत का साधारण निवासी है;
- किसी भारतीय नागरिक के अवयस्क बच्चे हैं;
- जो पूर्णत: व्यस्क हैं और जिसके माता-पिता सात साल से भारत में रहने के कारण भारत के नागरिक के रूप में पंजीकृत हैं।
- जिसका कोई एक अभिभावक, पहले स्वतंत्र भारत का नागरिक था और नागरिकता पंजीकरण के लिए आवेदन देने से पहले एक साल से वह भारत में रह रहा है।
- जो पांच सालों के लिए भारत के एक विदेशी नागरिक के रूप में पंजीकृत है और भारतीय नागरिकता पंजीकरण के लिए आवेदन देने से पहले वह एक साल से भारत में रह रहा है।
प्राकृतिककरण के द्वारा नागरिकता (By Naturalization)
एक विदेशी नागरिक प्राकृतिककरण के द्वारा भारत की नागरिकता प्राप्त कर सकता है यदि वह
- किसी दुश्मन देश या किसी भारतीय नागरिक को प्राकृतिककरण के द्वारा नागरिकता ना देता हो।
- किसी भी देश का नागरिक है और वह उस देश की नागरिकता का त्याग करने के बाद भारत सरकार को अपनी नागरिकता के त्याग के बारे में बताता हैं।
- जो 12 महीने से या तो भारत में रह रहा हो या फिर भारत सरकार की सेवा में कार्यरत हो
- उसे संविधान के आठवें हिस्से में निर्दिष्ट भाषा का पर्याप्त ज्ञान हो.
- हालांकि भारत सरकार किसी व्यक्ति को इन शर्तो पर छुट देकर भी नागरिकता प्रदान कर सकती हैं, अगर वह व्यक्ति विज्ञानं, कला, साहित्य, विश्व शांति या मानव उन्नति के किसी क्षेत्र से जुड़ा हो.
किसी क्षेत्र के समावेश होने पर (By Incoporation of Territory)
जब भारत किसी विदेशी क्षेत्र को अपने राज्यक्षेत्र का हिस्सा बना लेता हैं, तब उस क्षेत्र के नागरिक भारत की नागरिक बन जाते हैं. उदहारण के लिए: पुदुचेर्री और सिक्किम का भारत में विलय होने पर, वहा के सारे नागरिको ने भारत की नागरिकता प्राप्त की.
नागरिकता के समाप्ति (Loss of Citizenship)
नागरिकता अधिनियम 1955 में नागरिकता की समाप्ति के तीन आधार बताये हैं. यह हैं:
नागरिकता का त्याग (By Renunciation)
यदि कोई वयस्क भारतीय नागरिकता के त्याग की घोषणा करता है, वह घोषणा के साथ भारतीय नागरिकता खो देता है। इसके अलावा त्याग की दिनांक से ऐसे व्यक्ति का अवयस्क बच्चा भी भारतीय नागरिकता खो देता है। जब वह बच्चा अठारह साल का हो जाता हैं वह फिर से भारतीय नागरिकता प्राप्त कर सकता हैं।
भारतीय नागरिकता का त्याग कोई "पूर्ण आयु और क्षमता से युक्त" व्यक्ति ही कर सकता हैं और यदि कोई युद्ध परिस्थति में नागरिकता का त्याग करता हैं, तो उसके त्याग पर रोक लगाई जा सकती हैं.
स्वतः समाप्ति (By Termination)
यदि कोई भी व्यक्ति जो पंजीकरण या समीकरण के द्वारा किसी और देश की नागरिकता प्राप्त कर लेता है, उसकी भारतीय नागरिकता रद्द हो जाएगी.
वंचित करने के द्वारा (By Deprivation)
भारत सरकार किसी भी व्यक्ति को उसकी नागरिकता से वंचित कर सकती है, अगर या साबित हो जाता हैं कि उसने नागरिकता धोखाधड़ी, झूठे प्रतिनिधित्व या भौतिक तथ्यों को छुपाकर ली हैं; या वह भारतीय संविधान के प्रति अपनी अरुचि दिखाता है या वह युद्ध के दौरान दुश्मन देशों के साथ व्यापार में लिप्त होता है; या यदि उसे प्राकृतिककरण के पंजीकरण के पांच साल के भीतर दो साल या उससे अधिक की कैद की सजा सुनाई गई हो या वह सात साल से अधिक समय से लगातार भारत से बाहर रह रहा हो।
नागरिकता का त्याग (By Renunciation)
यदि कोई वयस्क भारतीय नागरिकता के त्याग की घोषणा करता है, वह घोषणा के साथ भारतीय नागरिकता खो देता है। इसके अलावा त्याग की दिनांक से ऐसे व्यक्ति का अवयस्क बच्चा भी भारतीय नागरिकता खो देता है। जब वह बच्चा अठारह साल का हो जाता हैं वह फिर से भारतीय नागरिकता प्राप्त कर सकता हैं।
भारतीय नागरिकता का त्याग कोई "पूर्ण आयु और क्षमता से युक्त" व्यक्ति ही कर सकता हैं और यदि कोई युद्ध परिस्थति में नागरिकता का त्याग करता हैं, तो उसके त्याग पर रोक लगाई जा सकती हैं.
स्वतः समाप्ति (By Termination)
यदि कोई भी व्यक्ति जो पंजीकरण या समीकरण के द्वारा किसी और देश की नागरिकता प्राप्त कर लेता है, उसकी भारतीय नागरिकता रद्द हो जाएगी.
वंचित करने के द्वारा (By Deprivation)
भारत सरकार किसी भी व्यक्ति को उसकी नागरिकता से वंचित कर सकती है, अगर या साबित हो जाता हैं कि उसने नागरिकता धोखाधड़ी, झूठे प्रतिनिधित्व या भौतिक तथ्यों को छुपाकर ली हैं; या वह भारतीय संविधान के प्रति अपनी अरुचि दिखाता है या वह युद्ध के दौरान दुश्मन देशों के साथ व्यापार में लिप्त होता है; या यदि उसे प्राकृतिककरण के पंजीकरण के पांच साल के भीतर दो साल या उससे अधिक की कैद की सजा सुनाई गई हो या वह सात साल से अधिक समय से लगातार भारत से बाहर रह रहा हो।
आगे पढ़े: भारतीय नागरिकता और उनके अधिकार
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