भारत सरकार अधिनियम (the Government of India Act) 1919 |
20 अगस्त 1917 को तत्कालीन सेक्रेटरी ऑफ स्टेट फॉर इंडिया, एडविन मॉटेग्यु, ने ब्रिटिश संसद में भारतीयों के पक्ष में एक ऐतिहासिक बयान जारी किया. उन्होंने कहा, “ब्रिटिश शासन की सभी शाखाओं में भारतीयों को शामिल करना और भारत में स्वायत्तशासी संस्थाओं का उदगमन एक क्रमिक विकास होगा, जिससे वे भारत में ब्रिटिश साम्राज्य के अभिन्न अंग के रूप से, एक उत्तरदायी सरकार बना सकेंगे.” उन्होंने इसके लिए तत्कालीन भारत के वाइसराय लार्ड चेल्म्स्फोर्ड की मदद से एक मसौदा तैयार किया, जिसे मोंटफोर्ड रिपोर्ट, 1918 के नाम से जाना जाता हैं, और बाद में जिसकी वजह से भारत सरकार अधिनियम, 1919 का जन्म हुआ.
भारत सरकार अधिनियम 1919 की विशेषताएं
1. इस अधिनियम ने केंद्रीय और प्रांतीय के विषयों को अलग करके प्रांतों पर केंद्रीय नियंत्रण को शिथिल कर दिया. केंद्रीय और प्रांतीय विधान परिषदों को उनके संबंधित विषयों की कानून बनाने के लिए अधिकृत किया गया था. हालाँकि, सरकार की संरचना केंद्रीयकृत और एकात्मक रही.
2. इसने प्रांतीय विषयों को दो भागों में विभाजित किया -- हस्तांतरित और आरक्षित. हस्तांतरित विषयों को राज्यपाल द्वारा विधान परिषद के लिए जिम्मेदार मंत्रियों की सहायता से प्रशासित किया जाना था. वही दूसरी ओर, आरक्षित विषयों को राज्यपाल और उनकी कार्यकारी परिषद द्वारा विधान परिषद के लिए जिम्मेदार नहीं माना जाना था. शासन की इस दोहरी योजना को डाइकर्सी के नाम से जाना जाता है — जो ग्रीक शब्द di-arche से लिया गया है जिसका अर्थ है दोहरा शासन. हालाँकि, यह प्रयोग काफी हद तक असफल रहा.
3. इसने देश में पहली बार द्विसदनीय व्यवस्था और प्रत्यक्ष चुनावों की शुरुआत की. इस प्रकार, भारतीय विधान परिषद को एक उच्च सदन (राज्य परिषद) और एक निचले सदन (विधान सभा) में बाटा गया. दोनों सदनों के अधिकांश सदस्यों को प्रत्यक्ष चुनाव से ही चुना जाना होता था.
4. वायसराय की कार्यकारी परिषद के छह सदस्यों में से (कमांडर-इन-चीफ के अलावा) तीन भारतीय हों, यह आवश्यक कर दिया गया.
5. इसने सिखों, ईसाइयों, एंग्लो-इंडियन और यूरोपीय लोगों के लिए अलग-अलग निर्वाचन प्रदान करके सांप्रदायिक प्रतिनिधित्व के सिद्धांत को बढ़ाया.
6. इसने संपत्ति, कर और शिक्षा के आधार पर कुछ गिने चुने लोगो को ही मताधिकार किया.
7. इसने लंदन में भारत के लिए उच्चायुक्त का एक नया कार्यालय बनाया और उसे राज्य सचिव के पदभार का कुछ हिस्सा दे दिया गया.
8. इसने एक सार्वजनिक सेवा आयोग की स्थापना के लिए प्रावधान किया. और इस वजह से 1926 में सिविल सेवकों की भर्ती के लिए एक केंद्रीय लोक सेवा आयोग (Central Public Service Commission) की स्थापना की गई.
9. पहली बार केंद्रीय बजट से प्रांतीय बजट और प्रांतीय विधानसभाओं को अपने बजट को अधिनियमित करने के लिए अधिकृत किया गया.
10. इसने लागू होने के दस साल बाद इसकी जांच करने और इसकी रिपोर्ट पर एक वैधानिक आयोग की नियुक्ति का प्रावधान किया.