भारत सरकार अधिनियम (Government of India) 1935 |
भारत सरकार अधिनियम 1935 की विशेषताएं
1. इसने एक अखिल भारतीय महासंघ की स्थापना के लिए प्रस्तावना राखी, इसमें ब्रिटिश भारत और रियासतों को एक इकाई माना गया. हालाँकि, यह महासंघ कभी अस्तित्व में नहीं आया क्योंकि रियासतें इसमें शामिल नहीं हुईं.
2. इस अधिनियम ने केंद्र और प्रांतो के बीच शक्तियों को तीन सूचियों में विभाजित किया- संघीय सूची (केंद्र के लिए, 59 विषय), प्रांतीय सूची (प्रांतों के लिए, 54 विषय) और समवर्ती सूची (दोनों के लिए, 36 विषय के साथ). वही पर वाइसराय को अवशेष शक्तियां दी गईं.
3. इस अधिनियम ने भारत सरकार का 1919 अधिनियम द्वारा शुरू की गयी प्रांतों में द्विशासन व्यवस्था को समाप्त कर दिया. 'प्रांतीय स्वायत्तता' पर जोर दिया गया. इसके अलावा, प्रांत के गवर्नर को प्रांतीय विधायिका के जिम्मेदार मंत्रियों की सलाह के साथ कार्य करने को कहा गया. यह व्यवस्था 1937 में शुरू हुई, मगर 1939 में ही बंद कर दी गयी.
4. इसने केंद्र में द्विसदनीय प्रणाली को शुरू किया. संघीय विषयों को आरक्षित विषयों और स्थानांतरित विषयों में विभाजित किया गया. हालाँकि, यह प्रावधान कभी लागू नहीं हुआ.
5. इसने ग्यारह प्रांतों में से छह में द्विसदनीय व्यवस्था का प्रावधान किया. इस तरह, बंगाल, बॉम्बे, मद्रास, बिहार, असम और संयुक्त प्रांत की विधान सभाओं को एक विधान परिषद (उच्च सदन) और एक विधान सभा (निम्न सदन) से मिलकर द्विसदनीय बनाया गया. हालांकि, इन संस्थाओ पर कई प्रतिबंध लगाए गए.
6. इसने दलित, महिलाओं और श्रमिकों के लिए अलग-अलग निर्वाचन व्यवस्था की बात कर सांप्रदायिक प्रतिनिधित्व के सिद्धांत को आगे बढ़ाया.
7. इसने भारत शासन अधिनियम 1858 के अनुसार बनायीं गई भारत परिषद को ख़त्म कर दिया.
8. इसने मताधिकार का विस्तार किया. इस अधिनियम से भारत की कुल आबादी के 10 फीसदी हिस्से को मतदान का अधिकार मिला.
9. इसने भारतीय रिजर्व बैंक की स्थापना का प्रावधान रखा.
10. इसने एक संघीय लोक सेवा आयोग की स्थापना की. इसके अलावा प्रांतो के लिए एक प्रांतीय लोक सेवा आयोग या दो या दो से अधिक प्रांतों के लिए संयुक्त लोक सेवा आयोग की स्थापना की प्रस्तावना रखी.
11. इसने एक संघीय न्यायालय की स्थापना के लिए कहा. जिसे 1937 में स्थापित किया गया था.
12. इस अधिनियम में अधिकारों के विधेयक (Bill of Rights) को शामिल नहीं किया गया.
13. इस अधिनियम ने बर्मा को भारत से अलग कर दिया, जिसे 1886 में ब्रिटिश भारत का एक हिस्सा बनाया गया था.
14. इसने अदेन (जो अब यमन का हिस्सा हैं) भारत से अलग कर दिया.
15. इसने ओड़िशा को बिहार से अलग कर एक नए प्रांत बना दिया और दूसरी तरफ, इसने सिंध को भी बॉम्बे से अलग कर एक नया प्रांत घोषित कर दिया.
ब्रिटिश सरकार ने इस अधिनियम को प्रभाव में लाने के लिए लॉर्ड लिनलिथगो को नए वायसराय के रूप में भेजा. इस अधिनियम के कुछ प्रावधान भारतीय रियासतों के विरोध के कारण कभी दिन की रौशनी नहीं देख सके और कुछ प्रावधान इस अधिनियम के तहत 1937 में हुए चुनावों के कारण लागू हो पाए.