झारखण्ड का राजकीय चिन्ह
झारखण्ड का राजकीय चिन्ह
झारखण्ड राज्य के पुराने राजकीय चिन्ह में चार J (अंग्रेजी वर्ण) के बीच अशोक चक्र दर्शाया गया था । राजकीय चिन्ह में J का रंग हरा तथा अषोक चक्र का रंग नीला था।
15 अगस्त 2020 को झारखण्ड की हेमन्त सोरेन सरकार ने नए राजकीय चिन्ह का अनावरण किया. इस चिन्ह में झारखण्ड राज्य की जनजातीय स्वरुप का विशेष ध्यान रखा गया हैं. इस चिन्ह के मध्य में अशोक स्तम्भ को दर्शाया गया हैं. इसके बाद पहली पंक्ति में झारखण्ड के आदिवासियों को उनके सांस्कृतिक वाद्य यंत्रो के साथ नाचते गाते दर्शाया गया हैं. दूसरी पंक्ति में राजकीय पुष्प टेसू के फूल दर्शाए गए हैं और तीसरी एवं अंतिम पंक्ति में राजकीय पशु हाथी को दर्शाया गया हैं.
झारखण्ड का राजकीय पशु: भारतीय हाथी
भारतीय हाथी का वैज्ञानिक नाम एलिफास मैक्सिमस इण्डिकस है। झारखण्ड में हाथी पूर्वी सिंहभूम, पश्चिमी सिंहभूम, सरायकेला-खरसावाँ आदि जिलों के जंगलों में पाये जाते है। इन्ही जिलों मे वैज्ञानिक और नियोजित प्रबंधन के माध्यम से हाथियों को संरक्षित करने के लिए देश का प्रथम हाथी रिजर्व क्षेत्र “सिंहभूम हाथी रिज़र्व” को स्थापित किया गया है।
झारखण्ड का राजकीय पक्षी: कोयल
कोयल का वैज्ञानिक नाम यूडाइनेमिस स्कोलोपेसियस हैं। इसे कोकिल के नाम से भी जाना जाता है।
झारखण्ड का राजकीय वृक्ष: साल
साल का वैज्ञानिक नाम शोरे रोबस्टा है। इसे झारखण्ड में साखू अथवा सखुआ के नाम से भी जाना जाता है। साल एक द्विबीजपत्री बहुवर्षीय वृक्ष है। इसकी लकड़ी काफी कठोर, मजबूत और भूरे रंग की होती है। इसका उपयोग इमारतों की लकड़ियों, रेलवे के स्लीपरों आदि में होता है।
राजकीय पुष्प: पलाश
पलाश का वैज्ञानिक नाम ब्यूटिया मोनोस्र्पमा है। पलाश को परसा, टैसू, किंशुक जैसे नामों से भी जाना जाता है। पलाश के वृक्ष झारखण्ड के जंगलों में बहुतायत रूप से देखने को मिलते है।