डच ईस्ट इंडिया कंपनी (Dutch East India Company) |
कंपनी ने मसूलीपट्टिनम, पुलिकट, सूरत, कराईकल, नागपट्टिनम, चिनसुरा और कासिमबाजार में अपनी बस्तियाँ स्थापित कीं। वे मसाले, रेशम, चीनी मिट्टी, धातु, रेवड़, चाय, अनाज, गन्ना उद्योग, और जहाज निर्माण उद्योग में व्यापर करते थे ।
सत्रहवीं शताब्दी की शुरुआत में, उन्होंने पुर्तगालियों पर जीत हासिल की और पूर्व में सबसे प्रमुख यूरोपीय शक्ति के रूप में उभरे। भारत में, पुलिकट उनका मुख्य केंद्र था और बाद में उन्होंने नागपट्टिनम को अपनी मुख्य केंद्र बना लिया।
सत्रहवीं शताब्दी के मध्य के भारत में, अंग्रेज भी एक बड़ी औपनिवेशिक शक्ति के रूप में उभरने लगे। एंग्लो-डच प्रतिद्वंद्विता लगभग सात दशकों तक चली जिस अवधि के दौरान डच ने ब्रिटिशों से एक-एक करके अपनी बस्तियां खो दीं।
1759 में हुए ‘वेदरा के युद्ध’ इस प्रकरण में निर्णायक साबित हुआ और इन युद्ध में अंग्रेज़ों से हार के बाद डचों का भारत में अंतिम रूप से पतन हो गया।
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