भारत सरकार अधिनियम (Government of India) 1858 |
इसे सर्वप्रथम, ब्रिटेन के तत्कालीन प्रधानमंत्री लार्ड पामरस्टोन ने ब्रिटिश संसद के पटल पर रखा था, मगर किन्ही निजी कारण चलते उन्हें इस अधिनियम के पारित होने से पहले इस्तीफा देना पड़ा था.
बाद में, एडवर्ड हेनरी स्टेनली, डर्बी के 15 वें अर्ल (जो बाद में चलकर भारत के पहले राज्य सचिव बनें) ने एक और बिल पेश किया, जिसे "एन एक्ट फॉर द बेटर ऑफ गवर्नमेंट" के रूप में जाना जाता हैं.
यह बिल 2 अगस्त 1858 को ब्रिटिश संसद में पारित कर दिया गया. और इसके साथ ही भारत में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी का राज ख़त्म हो गया एवं भारत में सारी प्रशासनिक शक्तियों को ब्रिटिश ताज (British Crown) के पास स्थानांतरित कर दिया गया.
भारत सरकार अधिनियम (Government of India) 1858 की विशेषताएं
1. भारत का शासन ब्रिटेन की साम्रागी के नाम पर राज्य सचिव के द्वारा चलाया जाएगा. राज्य सचिव ब्रिटिश कैबिनेट का एक सदस्य होगा.
2. भारत में सुचालू शासन के लिए राज्य सचिव की सहायता के लिए भारत की 15 सदस्यीय परिषद की स्थापना करने को कहा गया. परिषद एक सलाहकार निकाय था. राज्य के सचिव को परिषद का अध्यक्ष बनाया गया था.
3. भारत के गवर्नर-जनरल के पदनाम को भारत के वायसराय में बदल दिया गया. वाइसराय भारत में ब्रिटिश क्राउन का प्रत्यक्ष प्रतिनिधि था. उसे भारत के राज्य सचिव की आज्ञा के अनुसार कार्य करने के लिए बाध्य किया गया. इस प्रकार लॉर्ड कैनिंग भारत के पहले वायसराय बने.
4. इस अधिनियम ने बोर्ड ऑफ कंट्रोल और कोर्ट ऑफ डायरेक्टर्स को समाप्त करके दोहरी सरकार की प्रणाली को समाप्त कर दिया.
5. इसने भारत सचिव की परिषद का गठन किया, जो एक निगमित निकाय थी और जिसे भारत में और इंग्लैंड में मुकदमा चलाने का अधिकार था.
मुख्यतः, 1858 का भारत सरकार अधिनियम, भारत में प्रशासनिक मशीनरी के सुधार तक ही सीमित था, जिससे ब्रिटेन भारत पर निगरानी और नियंत्रण कर सके. इसने हकीक़त में किसी भी तरीके से प्रचालन प्रणाली में बदलाव नहीं किया था.
हलांकि, इस अधिनियम के अलावा, 1 नवम्बर, 1858 को ब्रिटिश साम्रागी विक्टोरिया ने भारत के संबंध में एक महत्वपूर्ण नीतिगत घोषणा की. इस घोषणा के हिसाब से,
1. भारतियों को ब्रिटिश साम्राज्य के अन्य भागों में रहने वाली प्रजा के समान माना जायेगा.
2. भारतीयों की लोक सेवाओं में अपनी शिक्षा, योग्यता और विश्वसनीयता के आधार पर स्वतंत्र एवं निष्पक्ष भर्ती की जायेगी.
3. भारतियों के भौतिक और नैतिक उन्नति के प्रयास किये जायेंगे.